अगर न होता पैसा
क्यों होती फिर आपाधापी, क्यों होती भागादौड़ी
सब रहते फिर मिलजुलकर, फिर होता झगड़ा कैसा.
अगर न होता पैसा
न जलती फिर कोई
दूल्हन, न दूल्हा कोई बिकता
अगर न होता पैसा,
सब रहते फिर मिलजुलकर, फिर होता झगड़ा कैसा,
अगर न होता पैसा
नेता होते इमानदार सब
फिर क्यों घोटाला होता
न कोयला न कॉमनवेल्थ और न हवाला होता
अगर न होता पैसा
सब रहते फिर मिलजुलकर फिर कैसा झगड़ा होता
अगर न होता पैसा
न होती फिर कोई बबली, न कोई बन्टी होता
सब रहते फिर मिलजुलकर फिर कैसा झगड़ा होता
अगर न होता पैसा
-समीर कुमार ठाकुर
क्यों होती फिर आपाधापी, क्यों होती भागादौड़ी
सब रहते फिर मिलजुलकर, फिर होता झगड़ा कैसा.
अगर न होता पैसा
न जलती फिर कोई
दूल्हन, न दूल्हा कोई बिकता
अगर न होता पैसा,
सब रहते फिर मिलजुलकर, फिर होता झगड़ा कैसा,
अगर न होता पैसा
नेता होते इमानदार सब
फिर क्यों घोटाला होता
न कोयला न कॉमनवेल्थ और न हवाला होता
अगर न होता पैसा
सब रहते फिर मिलजुलकर फिर कैसा झगड़ा होता
अगर न होता पैसा
न होती फिर कोई बबली, न कोई बन्टी होता
सब रहते फिर मिलजुलकर फिर कैसा झगड़ा होता
अगर न होता पैसा
-समीर कुमार ठाकुर
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