जहां बेदी अपने आप को अभी से सीएम मान चुकी हैं वहीं केजरीवाल अपनी गलती मानते हुए एक और मौका देने की बात
जनता से कर रहे हैं.
सभी पार्टियां प्रचार के लिए कमर कस चुके हैं. बीजेपी पिछले चार राज्यों की सफलता दोहराना चाहती है और इस बार भी बीजेपी की तरफ से सबसे बड़ा चेहरा नरेंद्र मोदी का हीं होगा.
कांग्रेस ने अजय माकन के हाथों में कमान देकर कुछ नया करने की कोशिश की है और नई उम्मीद के साथ मैदान में उतरी है जिसका फायदा कुछ हद तक को कांग्रेस को जरुर होगा.
वहीं आप में निश्चित तौर पर स्टार प्रचारकों की कमी तो है हीं पार्टी छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए नेताओं से भी केजरीवाल को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
कुल मिलाकर दिल्ली की लड़ाई तीनों पार्टियों के लिए नाक की लड़ाई है क्योंकि दिल्ली को सत्ता का केन्द्र माना जाता है.
-समीर कुमार ठाकुर
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