संजय कुमार झा |
यूपीए सरकार ने भी दस साल के कार्यकाल में खरमास में कोई बड़ा फैसला करने से परहेज किया. आज वह लोग अंध-विश्वास का ढोल पीट
रहे हैं.
सच तो यह है कि देष-विदेश के बहुत सारे विश्वविद्यालयों में ज्योतिष एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है. इसमें शोध के बाद डॉक्टरेट की उपाधि भी दी जाती है.
इतना ही नहीं ज्योतिष की पढ़ाई में कुंडली बनाना, हस्त रेखा अध्ययन में स्पेशलाइजेशन भी होता है. ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं होता. विज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की वकालत करने वाले पश्चिम के लोग भी ज्योतिष में खासा विश्वास रखते हैं.
हां गणना का तरीका अलग है. भारतीय ज्योतिष चंद्र की गति पर जबकि पश्चिम के ज्योतिष सूर्य की गति के आधार पर गणना करते हैं.
बहरहाल, दिल्ली के कटवारिया सराय स्थित लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ ज्यादा दूर नहीं है. मीडिया को वहां जाकर जानना चाहिए कि ज्योतिष अगर अंधविश्वास को बढ़ावा देता है तो उस पर डॉक्टरेट की उपाधि क्यों दी जाती है?
जहां तक स्मृति ईरानी की बात है तो वह इन दिनों दबाव में हैं, इसलिए सही तरीके से अपना पक्ष नहीं रख पा रही हैं. अन्यथा उन्होंने कुछ ऐसा नहीं किया है जिससे उन्हें शर्मिंदा होना पड़े. मेरे ख्याल से उन्हें ऐसे लोगों को खुल कर जवाब देना चाहिए कि हां उन्हें ज्योतिष में विश्वास है
-संजय कुमार झा
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